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नमक स्वादानुसार

नमक स्वादानुसार

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तुम्हारी और मेरी बातें

प्यारी नहीं होती

लुभावनी भी नहीं होती


हमारे बीच होती हैं

कुछ कड़वी,

कुछ मीठी बातें


कड़वी बातों का

मैंने अचार डाल दिया है

ठीक वैसे ही जैसे

मां डाला करती थीं करेले का


और मीठी बातों का

मुरब्बा बना के

भर दिया है मर्तबान में

वैसे ही जैसे नानी ने सिखाया था


अबकी बार मिलो तो

किसी बागीचे में

फ़ुरसत की चटाई डाल कर

यादों के पराठों से


उस अचार और मुरब्बे का

स्वाद जरूर चखना

बता देना नमक

स्वादानुसार है या नहीं


सुनो तुम्हें हो या ना हो

तुम्हारे लिए मेरा प्यार 

ठीक वैसे ही रहेगा

जैसे नमक स्वादानुसार।


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