नज़रिया
नज़रिया
यूहीं नहीं बेवफाई उसने करी होगी
यकीं है, मुझको मजबूरी कोई उसकी रही होगी।
गुजर गया बिना देखे, वो मेरे करीब से
जरा संभलो, नज़र कोई हमें भी देखती होगी।
आज लौटा है, मुददत बाद मेरे पास वो फिर से
खफा हूं, और वो टूटा अब दवा तो करनी ही होगी।
ये माना राह मुश्किल है, मगर ए यार फिर से
आखिरी सही, पहली सी कोशिश करनी ही होगी।
अंधेरा हो गया है घर में तेरे रूठ जाने से
अजी छोड़ें, है शब अब रोशनी तो करनी ही होगी।
चला जाऊंगा, मिल तो ले जरा फ़ुरसत में तू मुझ से
है दिल की बात , अब करनी अकेले में जरा होगी।