नज़र तुं नहीं आ रही
नज़र तुं नहीं आ रही
सुहानी समामें, मस्त बहारों में,
तेरी याद आ गई,
कहां तुज़े ढुंढु, कैसे तुज़े पाउं,
नज़र तुं नहीं आ रही।
कैसी है तेरी ये दिल्लगी सनम,
प्यारकी कोई अहमियत नहीं,
तु बेदर्दी प्यार क्या जाने ?
आ ज़ाओ मेरी मेहज़बी।
सावन की घटामें, इन वादियों में,
तेरी याद आ गई,
कहां तुज़े ढुंढु, कैसे तुज़े पाउं,
नज़र तुं नहीं आ रही।
बरसों से बिछड़े हैं हम तुम,
कभी हम मिल शके नहीं,
तस्वीर तेरी दिलमें बसी है,
फ़िर भी हम करीब नहीं।
मिटा दो ये दूरी, गले लग ज़ाओ "मुरली",
तेरी याद आ गई,
कहां तुझे ढुंढु, कैसे तुझे पाऊँ,
नज़र तू नहीं आ रही।