Chandra prabha Kumar
Fantasy
निवेदन
स्थिर हो जाओ,
समय रुक जाओ,
ऐसी भी क्या जल्दी है,
ज़रा ठहर सुस्ताने दो।
तुम क्या हो,
क्या मुझे न बताओगे ,
आते हो तो चले क्यों जाते हो ,
क्या मुझे न समझाओगे।
हाइकु
सूरज
चेतना विस्तार
श्रीप्रभु के ...
आ बरसो मेघा
आज रक्षाबन्धन
जन जन का प्या...
अमृत महोत्सव
प्रिय मेरा
ऑंवले का वृक्...
मर्द वो है जो सही और गलत का फासला समझाए अगर जरूर पड़ी कभी तो डांट भी लगाए.. मर्द वो है जो सही और गलत का फासला समझाए अगर जरूर पड़ी कभी तो डांट भी लगाए..
गीत ग़ज़ल उल्फ़त की ख़ुशबू है आज़म महके प्यारी धरती उल्फ़त की धुन में। गीत ग़ज़ल उल्फ़त की ख़ुशबू है आज़म महके प्यारी धरती उल्फ़त की धुन में।
हर एक सुरक्षाकर्मी है भारत माता की जान जय भारत क वीर सपूतों को मेरा प्रणाम। हर एक सुरक्षाकर्मी है भारत माता की जान जय भारत क वीर सपूतों को मेरा प्रणाम।
आखिरकार, यह चलचित्र शयनकक्ष में पूर्ण होता है। आखिरकार, यह चलचित्र शयनकक्ष में पूर्ण होता है।
ये एक ऐसी घटना होती है जो बहुत अधिक होती है, जीवन बोय आजय से, कुछ ऐसा ही है। ये एक ऐसी घटना होती है जो बहुत अधिक होती है, जीवन बोय आजय से, कुछ ऐसा ही है।
यूँ टुकड़ों में बँटकर ही ज़िन्दगी गुज़र जाती है। यूँ टुकड़ों में बँटकर ही ज़िन्दगी गुज़र जाती है।
खेला करता था कभी जिस गलियों में आज वही राह रोक लेता है! खेला करता था कभी जिस गलियों में आज वही राह रोक लेता है!
शमा पे जलने वाले बेखौफ परवाने नहीं दिखते जाने क्यूं चेहरे अब पहचाने से नहीं लगते शमा पे जलने वाले बेखौफ परवाने नहीं दिखते जाने क्यूं चेहरे अब पहचाने से नहीं ...
जाने कितने दिल है दुखाये एक तुझे पाने को, तू भी तो ये वादा कर मेरा दिल मत दुखाना... जाने कितने दिल है दुखाये एक तुझे पाने को, तू भी तो ये वादा कर मेरा दिल मत दु...
अब रास्ते अलग और ठिकाना भी अलग हो गया।। अब रास्ते अलग और ठिकाना भी अलग हो गया।।
ग्रह सभी एक साथ मुस्काए आज फिर, याद तुम आये। ग्रह सभी एक साथ मुस्काए आज फिर, याद तुम आये।
आज उन्हीं गड्ढों से एकाकार होकर उन्हीं गड्ढों में कहीं खो गई। आज उन्हीं गड्ढों से एकाकार होकर उन्हीं गड्ढों में कहीं खो गई।
कभी यहां के विद्यार्थी बने है मंत्री कभी बने है जिला अधिकारी कभी यहां के विद्यार्थी बने है मंत्री कभी बने है जिला अधिकारी
उसकी सफलता का गुणगान आकाश के परे भी हो रहा है । उसकी सफलता का गुणगान आकाश के परे भी हो रहा है ।
बहुधा सफलता पाने में लग जाते हैं कई वर्ष ! बहुधा सफलता पाने में लग जाते हैं कई वर्ष !
हरियाली से भरपूर भगवान की दुआ पहाड़ियों को देख सुखद आश्चर्य हुआ हरियाली से भरपूर भगवान की दुआ पहाड़ियों को देख सुखद आश्चर्य हुआ
और पहली ख्वाहिश संदूकची में बंद हो जाती है ! और पहली ख्वाहिश संदूकची में बंद हो जाती है !
कि 'गुलशन' तुम्हीं से महकने लगा है, फिज़ा ये ख़ुशी का बहारा न होता। कि 'गुलशन' तुम्हीं से महकने लगा है, फिज़ा ये ख़ुशी का बहारा न होता।
कविता सी दिखना चाहती हूं मैं लिखना चाहती हूं। कविता सी दिखना चाहती हूं मैं लिखना चाहती हूं।
शायर तो बज़्म मे यूँ ही बदनाम है ये मत पूछो कि कौन याद आ गई ? शायर तो बज़्म मे यूँ ही बदनाम है ये मत पूछो कि कौन याद आ गई ?