निस्वार्थ
निस्वार्थ
कुछ इंसान हैं
इस भीड़ में
जो बिना मोलभाव किए
ऐन वक्त पर
मुसीबत के मारों का
साथ देते हैं...
ऐसे इंसान निस्वार्थ होते हैं!
इनका उद्वेश्य ही
जरूरतमंद लोगों का
साथ देना होता है!
हमारे मुश्किल दौर में
हमारे माता-पिता और
अपनों के अलावा
एक ऐसे व्यक्ति हैं
जिन्होंने बिना स्वार्थ भाव से
हमारे साथ खड़े हैं...
वे हैं श्री रविंद्रनाथ सावदेयकर जी,
जो विवेकानंद केंद्र विद्यालय, लाइपुली (तिनसुकिया) के प्रधानाचार्य हैं।
उन्होंने हमें तहेदिल से
हिम्मत और धैर्य रखने की
प्रेरणा दी...।
उनका निस्वार्थ भाव
इस रंग बदलती दुनिया में
अनूठा है!
ऐसे दरियादिल इंसान का होना
आज के इस स्वार्थी
दुनियावालों की भीड़ में
परम सौभाग्य की बात है!
हम ही नहीं, कोई और भी होंगे,
जो उनके निस्वार्थ मानवमूल्यों
को नमन करते होंगे...!
उनकी महानता को हमारा भी प्रणाम है।
