निर्गुण गीत
निर्गुण गीत
कबतक रखोगे साजन नईहर में कुआँरी
उठाओगे बनाके कब दुलहन डोली हमारी।
कर सोलहो श्रिंगार मुझको संवार ले जाओ पिया
लगता नहीं दिल तेरे बिन उस पार बुलाओ पिया
चार कहार संग बाराती ले आओ मेरे दुआरी
कबतक रखोगे साजन नईहर में कुआँरी।
जाऊँगी कैसे ससुराल सोच मन घबराता है
नजरे कैसे मिलाऊँगी समझ नहीं आता है
अब तो समझो पिया मेरी तुम लाचारी
कबतक रखोगे साजन नईहर में कुआँरी।
धरम नहीं किया पुन्य करम नहीं किया
बेखुदी बिना करम मैंने शरम नहीं किया
दूँगी क्या जवाब जब होगी नजरे दो चारी
कबतक रखोगे साजन नईहर में कुआँरी।
क्षिति जल पावक गगन समिरा मिली शरीरा हुई
मोह माया लोभ लालच वासना भूली अधीरा हुई
कैसे मुंह दिखाऊँगी जब दोगे घूँघट उघारी
कबतक रखोगे साजन नईहर में कुआँरी।
मै थी तेरी अमानत खुद मालिक बन बैठी
था करना तेरी इबादत मै सब भूल बैठी
हुई भूल हमसे अब ले लो सुध हमारी
कबतक रखोगे साजन नईहर में कुआँरी।
मैं मूर्ख भोली तेरी मरम समझ ना पाई
भूल मै तुझको दुनिया मे दिल लगाई
करो नाथ तुम ही मेरी भूल सुधारी
कबतक रखोगे साजन नईहर में कुआँरी।