STORYMIRROR

Radha Shrotriya

Romance

4  

Radha Shrotriya

Romance

निराशा में भी आशा छुपी रहती है

निराशा में भी आशा छुपी रहती है

1 min
24K

निराशा में भी आशा छुपी रहती है.....

कितनी ही उदास सांझों के बाद मन के वीरान रेगिस्तान में

चलते हुए अचानक से ठिठक कर रुक गई थी मैं 

तुम्हारी प्रीत का झरना न जाने कब से रिस रहा था मेरे मन में !

अपनी तकलीफों में उसे निरंतर नजरअंदाज करती रही थी मैं !

पर आज देखा मन की भीतरी परतों में तुम्हारे प्रेम की नन्ही सी कोंपल फूट आई थी !

इतनी विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भी प्रेम मरा नहीं था

हृदय की अनंत गहराइयों में स्पंदित हो रहा था जैसे मां के गर्भ में धड़कता है एक नन्हा जीवन !



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance