नींद
नींद
नींद अब आँखो में कहाँ
ढूंढ लो ख़्वाब कोई मिल जाए
आप से बेहतर जहाँ में और भी हैं
क्यों ना उनसे हम सुकून पाए
इंतज़ार नींद का क्या करना
जब ख़्वाब ही बग़ावत के आए
उन्हें सौगंध है हमारे प्यार की
उन्हें किसी करवट भी नींद ना आए
हर ख़्वाब जब ज़माने में टूटता ही है
इससे बेहतर हमें नींद ही ना आए
जागती आँखों ने बहुत देखा है
क़सूर उनका हो और सज़ा हम पाए
थक के सो जाओ तो सुबह जागो तुम
लोरियां प्यार की तुम्हें क्या सुनाएं
ऐसी नींद हमारे किस काम की
कि जिसमें ख़्वाब तुम्हारे ना आए।