नींद कहाँ आती है
नींद कहाँ आती है
उल्फतों में कहा यार
सपने तो उलझनों में आती है।
लबों पे झूठी हँसी
रातों को तकिये भिगोती है।
आपके साथ बड़ी
गहरी दोस्ती होगी ना ?
आपके साथ आकर
आपके साथ चली जाती है।
पूरी रात, खाली आंख लिए बैठे थे
पर ये कम्बख्त नींद कहाँ आती है !