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Paramita Mishra

Abstract

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Paramita Mishra

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ये तो बताओ

ये तो बताओ

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कभी हसरतें मोहब्बत की

कभी अमावस में भी चांदनी

तुम पहले मेरे जीने की वजह बने

और फिर वही वजह छीन ली।


मैं राह ताकती रह गयी

तुमने रस्ता बदल दी

मैं दीया जलाती रही

पर सुबह फिर कभी ना हुई।


क्या तुम ख्वाब हो

एक पहेली जिसका

कोई जवाब नहीं,

ये तो बताओ

क्या मैं सिर्फ

एक पगडंडी थी।


तुम अब भी राहों में

नजरें गड़ाए बैठे हो

शायद मैं तुम्हारी

मंजिल नहीं।


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