चिटियों के सहर मे
चिटियों के सहर मे
चिटियों के सहर मे
बात फैलगयी
कि वारिस होगा
होगी बारिश मिठाइयों की
दिन तारीख का तो पता नहीं
खवर पककी हैं मगर
महिनों या पूरा साल भर
अब तो दिन गुजरेगी नवावो सा ही,
और फिर वो दिन आयी
पर ये क्या लाला के घर लड़का नहीँ
मुइँ एक लड़की आयी
हाए रे किसमत,
बारिश तो फिर भी घमासाम हूई
घरों के खिडकियां, दरबाजे भी कपकंपाइ
और टूटके बिखरे
किसी के अरमां तो किसी के दुनिया
बिचारी चिटियां
तरसती रही मारे मिठाइयाँ।