STORYMIRROR

Paramita Mishra

Abstract Classics Fantasy

4  

Paramita Mishra

Abstract Classics Fantasy

चिटियों के सहर मे

चिटियों के सहर मे

1 min
262

चिटियों के सहर मे

बात फैलगयी

कि वारिस होगा

होगी बारिश मिठाइयों की

दिन तारीख का तो पता नहीं


खवर पककी हैं मगर

महिनों या पूरा साल भर 

अब तो दिन गुजरेगी नवावो सा ही,

और फिर वो दिन आयी

पर ये क्या लाला के घर लड़का नहीँ


मुइँ एक लड़की आयी

हाए रे किसमत,

बारिश तो फिर भी घमासाम हूई

घरों के खिडकियां, दरबाजे भी कपकंपाइ

और टूटके बिखरे

किसी के अरमां तो किसी के दुनिया

बिचारी चिटियां

तरसती रही मारे मिठाइयाँ।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract