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Navya Agrawal

Classics Inspirational

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Navya Agrawal

Classics Inspirational

नई बहू क्या लाई

नई बहू क्या लाई

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सजी लाल सुर्ख जोड़े में

जब वो दुल्हन बनी बैठी थी

आंखों में हजार सपने लिए

पलके अपनी झुकाए बैठी थी


कभी मुस्काती कभी शर्माती

थोड़ी सी घबरा रही थी

चेहरे पर एक हंसी लिए

दर्द वो सबसे छिपा रही थी


छूट रहा था सब कुछ उसका

फिर भी मुस्कुरा रही थी

पापा से आज विरह का गम

दिल में अपने दबा रही थी


होकर विदा अपने घर से

नए घर में जब अाई थी

सब बदला बदला सा

वो आंखों से नीर बहा रही थी


सब लगे थे देखने में

नई बहू क्या क्या लाई थी

सोचा एक पल भी नहीं किसी ने

वो पगली क्या छोड़ अाई थी


कैसे एक ही पल में उसका

सारा जीवन ही बदल गया

कल तक जो नहीं छोड़ते थे तन्हा

आज उन्होंने ही दामन छुड़ा लिया।


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