निगाहों की ग़ज़ल बनकर
निगाहों की ग़ज़ल बनकर
मेरी आँखों में बसे रहो,
तुम मेरी नयनों की ज्योति बनकर l
तुम्हारी सूरत यहां बसी रहे,
तुम मेरी निगाहों की ग़ज़ल बनकर l
इन नयनों की अंधियारों को दूर करो,
तुम इक चमकती रोशनी बनकर l
यहां-वहां कहां-कहां फिरते रहे,
तुम मेरी जान की जिंदगानी बनकर l
इन नयनों की पुतली में नचा करो,
तुम मेरी दिल की नायिका बनकर l
होंठों की जाम कभी पिलाया करो,
तुम हमारी नशा की निशा बनकर l
कभी-कभी हंसते हो बहारों में,
तुम गुलजार करो मेरी हसीन चमन बनकर l
लाख तुम मुझसे दूर भी जाओ,
तुम जिंदगानी बदला करो मेरी सांस बनकर l