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Shiv kumar Gupta

Romance

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Shiv kumar Gupta

Romance

तुम जो भूल जाओगे

तुम जो भूल जाओगे

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मेरे हमदम मेरे साथी साथी,

तुम जो भूल जाओगे मेरे साथी ।

नींद ना आएगी रात ना कटेगी,

बस यही तमन्ना तुम कब मिलोगी ।

इन सूखी निगाहों में रात कब होगी,

इन नयनों में उजाले दिन कब होगी ।

मेरे हमदम मेरे साथी साथी,

तुम जो भूल जाओगे मेरे साथी ।

तुम तो खुश होगे मगर साथ ना होगी,

मेरे महफ़िल में वो चांदनी ना होगी ।

किस तड़प में हम जी रहे होंगे,

तुम भी ना जाने कैसे बिन मेरे होगे ।

मेरे मितवा मेरे साथी मेरे साथी,

बिन तेरे कौन बनेगा मेरा साथी ।

कब तलक तुम ऐसे रूठोगे,

कब तलक तुम ऐसे दूर रहोगे ।

मासूम चेहरे से नफरत कब हटेगी,

जानू मेरे मेरे मीत साथ कब तक छूटेगी ।

मेरे हमदम मेरे साथी साथी,

तुम जो भूल जाओगे मेरे साथी ।

मेरा जीना भी तेरे बिन दुश्वार होगा,

तेरी चाहत को इस दिल मे तड़प बहुत होगा ।

बिन तुझ संग ये दुनिया क्या रंगीन होगी,

मर जाएंगे मिट जाएंगे ये दूरियां ना होगी ।

मेरे हमदम मेरे साथी साथी,

तुम जो भूल जाओगे मेरे साथी ।

कितना अच्छा होता जब तुम मेरे पास होते,

गले से लिपट कर जब हम तुमसे मिलकर होते।

चाहत होती प्यार होता जब तुम पास होते,

नादानी हम यू करते जब जब तुम पास होते ।

मेरे हमदम मेरे साथी साथी,

तुम जो भूल जाओगे मेरे साथी।


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