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Shiv kumar Gupta

Abstract Classics Inspirational

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Shiv kumar Gupta

Abstract Classics Inspirational

वीरों का वंदन

वीरों का वंदन

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माटी को नमन वीरों का वंदन,

कण-कण मिट्टी लगता चंदन,

धरती अपनी स्वर्ग से प्यारी,

करते हम इसका अभिनंदन।


नमन हमारा इस धरती को,

देव तरसते जिस धरती को,

जन्म लिया है जहां पे हमने,

सजा के रखें माँ भारती को।


सबसे ममता विश्व से प्रीति,

भारत की बस यही है रीति,

मानव जन्म सफल होगा तब,

विश्व शांति की होगी रीति।


स्वराज पथ पर ध्यान रहे,

बस इतना अभिमान रहे,

रहूँ कहीं मैं भारत में पर,

इसकी रक्षा का ज्ञान रहे।


स्वाधीनता के पावन पथ पर,

भारतवासी रहें..... अग्रसर, 

पुण्य-धरा यह देवालय है,

खुशबू फैलाएँ,, ज्यों केसर।


मिल जाऊं मैं इस धरती में,

मिट जाऊं मैं इस मिट्टी में।

मातृभूमि की रक्षा खातिर,

मिल जाऊँ मैं इस सृष्टि में।


देश जाति का गौरव अपना,

हम भारत के,भारत अपना,

चांद को छूने की अभिलाषा,

हर भारतवासी का सपना।


मंगलमय हो... मंगल इच्छा,

हर जन्म में..... रहे प्रतीक्षा,

तेरी धरा पर जन्म लूं माते,

'शिव' को दे दो प्यारी भिक्षा।


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