सतत संकल्प हो कर्तव्य का
सतत संकल्प हो कर्तव्य का
खिलो ऐसे की जैसे झील में ,
खिलता कमल कोई ।
जूबां खोलो अगर निकले,
खनकती सी गजल कोई ।
बहारों की हसीं रंगिनियों का,
नूर बन जाओ ।
तुम्हारा नाम हो हर होट पर,
मशहूर बन जाओ ।
समृद्धि शांति हो शोहरत ,
तुम्हारे पांव को चूमे ।
गगन तक किर्ति यश फैले,
हृदय पाकर खुशी झूमे ।
सतत् संकल्प हो कर्तव्य का,
व्यवहार सादा हो ।
ठसक के साथ हर मुश्किल से ,
लड़ने का इरादा हो ।
प्रखर मष्तिष्क हो इतना,
न कोई मात दे पाये ।
विजय निश्चित मिले ,
जो भी चुनौती सामने आये ।
बुलंदी पर रहो संघर्ष का ,
आकाश लिख डालो ।
सफलता का शिखर छू लो ,
नया इतिहास लिख डालो ।