नहीं मतलब नहीं
नहीं मतलब नहीं
प्रसंग: न्यायालय में खड़ी न्याय की आस लगाए लड़की से जिसका बलात्कार हुआ है वकील उसके चरित्र पर प्रश्न करता
कविता:
न्यायालय में खड़े पूछते हो तुम चरित्र मेरा,
क्या चरित्र दिखता तुम्हें मेरी आँखों में नहीं?
कर तार तार मेरे हौसले को करते हो प्रश्न मुझ से,
जानते नहीं क्या कि नहीं मतलब नहीं?
हूं कौन मैं? बस तेरी एक और मौज ना?
कहीं मुझे लूटना तेरा व्यवसाय तो नहीं?
चीरहरण तो मेरा हुआ है, तुम्हें क्या। हैं ना?
अब तो मान लो कि नहीं मतलब नहीं।
या मत मानो, इसमें मेरा और कुछ ना जाएगा,
आज मैं थी, कल होगी तेरी सगी कोई,
तब क्या बीता मुझ पे तुम्हें समझ में आएगा,
तब जानोगे तुम कि नहीं मतलब नहीं।
