नए रास्ते
नए रास्ते
कभी रात में तारों को देखके सोचता हूँ,
ऐसी उड़ान भरूँ कि ये दूरी ना रह जाए।
क्यों ना यूँ की जाए नज़रों से बात,
लफ़्ज़ों में कहना ज़रूरी ना रह जाए।
वादा कर लूँ कुछ यूँ अपने ख़्वाबों से,
होश में आने की भी मंज़ूरी ना रह जाए।
उतार तो दूँ पन्नों पे पर डरता हूँ,
बतानी थी जो कहानी अधूरी ना रह जाए।
इतनी सारी हैं मेरे मन की ये बातें,
मन में ही पूरी की पूरी ना रह जाए।
जादू होता है कुछ हवाओँ में भी,
ना चलें तो ये ख़ुमारी ना रह जाए।
दोस्तों के साथ खुद को उलझा लेता हूँ,
कि मन में कहीं याद तुम्हारी ना रह जाए।
सुहाने हैं ये नए रास्ते भी,
कारवां नया फिर भी मंज़िल पुरानी ना रह जाए।