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दांव पे लगाने को जब कुछ भी ना था बाकी, जीतने का एक अरमाँ था वो अरमाँ था बाकी। दांव पे लगाने को जब कुछ भी ना था बाकी, जीतने का एक अरमाँ था वो अरमाँ था बाकी।
सच्चे झूठ पर कायम रहना ही बेहतर है, बात और बिगड़ जाती है कहके मुकर जाने से। सच्चे झूठ पर कायम रहना ही बेहतर है, बात और बिगड़ जाती है कहके मुकर जाने से।
सुहाने हैं ये नए रास्ते भी, कारवां नया फिर भी मंज़िल पुरानी ना रह जाए... सुहाने हैं ये नए रास्ते भी, कारवां नया फिर भी मंज़िल पुरानी ना रह जाए...