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Sushant Kushwaha

Tragedy

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Sushant Kushwaha

Tragedy

नदी

नदी

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नदी निरंतर बहती हो

किसी से कुछ न कहती हो

मन में विकार लिए

क्यों अन्याय तुम सहती हो

अवसाद तुम्हारे अंदर भरता

फिर तुम चुप क्यों रहती हो

अपनी वेदना मुखर होकर

अज्ञानी से क्यों ना कहती हो!


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