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Sushant Kushwaha

Abstract

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Sushant Kushwaha

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आना चाहिए

आना चाहिए

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मन के संवेगीय धारा को बाहर लाना चाहिए

शब्द के कमान से दिल के बोझ को पलटना चाहिए

जिंदगी की धुन बज रही हो अगर बेसुरी

कोशिश कर धुन को धुन से मिलना चाहिए

रिश्तों को ख़ामोख़ाँ समझो न बोझ

बोझ उठाकर भी रिश्तों को निभाना चाहिए

लगे है कई रंग के फूल पेड़ों में

समय आने पर ख़ुद झड़ जाना चाहिए

आँखों में भरा है आंसू हे भगवन

दे ग़म या फ़िर खुशियाँ रोने का बहाना चाहिए!


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