नौकरी
नौकरी
इसलिए ..... मैंने नौकरी छोड़ दी।
अपने आत्मसम्मान से ,
समझौता नहीं किया।
अपने किरदार को,
अपनी ही नजरों में ,
गिरने नहीं दिया।
झूठ की जमीन पर,
आँखों में धूल झोंक कर।
सच को झूठ,
और झूठ को सच नहीं किया।
इतना कमजोर नहीं कि
अपनी गलती मान न सकूँ।
हर बार मैं गलत हूँ।
मैंने अपने साथ ,
गलत फैसला नहीं लिया।
पैसों से जो गुलाम,
जो खरीदते होंगे।
खरीद ले।
मैंने अपने किरदार को,
बिकाऊ नहीं किया।।
नौकरी आत्मसम्मान से बढ़कर तो नहीं।
मैंने अपनी सोच को गुलाम नहीं किया।