नौजवान
नौजवान
माना ये मैंने कि तुझमें,
जोश का उन्माद है।
कुछ नया कर गुजरने का,
हर क्षण हीं शंखनाद है।
फिर भी तू कुछ करने से पहले,
परिस्थिति का भान कर ले।
है कैसे परिवेश में तू,
स्थिति का ध्यान धर ले।
सोच के जो बढ़ते कदम है,
रोक पाना उनको है मुश्किल।
मोड़ दे जो रुख हवा का,
नौजवान तू ही है काबिल।
अपनी काबलियत पे ठहर के,
तू भी कुछ मान कर ले।
और कुछ करने से पहले,
परिस्थिति का भान कर ले।
जो कभी तू हार जाए,
हो न जाना तू विचलित।
मान के बढ़ना हमेशा,
बल से भरा है तू अतुलित।
गिरते संभलते हीं सही,
जीवन का तू उत्थान कर ले।
और कुछ करने से पहले,
परिस्थिति का भान कर ले।
है कैसे परिवेश में तू,
स्थिति का ध्यान धर ले।
