नारीत्व
नारीत्व
शक्ति का स्वरुप
धर के नारी रूप
पावन धरा की लक्ष्मी
"तेज "चमकीली धूप
पूर्णता हो स्वंय में
नित नए अवतार में
क्रोध जितना द्वेष में
मर्म उतना प्यार में
हर कला की पवित्रता
पवित्र तेरा स्वरूप
ज्ञान की सरस्वती
कोमलता अनूप
स्नेह प्रेम ममता तेरी
है रूप भी श्रंगार भी
साधना साहस अखण्ड
है प्राकृतिक चमत्कार सी
साथ दे अंतिम सांस तक
माँ बहन बेटी संगिनी हर रूप
पवन धरा की लक्ष्मी
तेज चमकीली धूप