"नारी"
"नारी"
नारी जीवन
है अद्भुत-अदम्य
तुम्हें नमन।।1।।
तुम श्रद्धा हो
तुम ममता-निधि
तुम भक्ति हो।।2।।
नेत्र सजल
है करुणा-धार से
भीगा आँचल।।3।।
वे प्रकृति हैं
वे सृष्टि को रचतीं
वे पूजित हैं।।4।।
है बेटी जनी
पंखुडी सी कोमल
जग-जननी।।5।।
तू हर गीत
तेरी सुर-सरिता
तू ही संगीत।।6।।
है औ'रत'तू
वीरांगना झाँसी तू
रण-चण्डी तू।।7।।
तुझमें रब
तू है आदि अनंत
तुझमें सब।।8।।
नारी धैर्य है
सागर सा अथाह
नारी स्थैर्य है।।9।।