नारी
नारी
पता नहीं लोग क्यों यह भूल जाते हैं,
यह शरीर भी, नारी की ही तो देन है ।
पता नहीं लोग क्यों यह भूल जाते हैं,
लालन- पालन भी, नारी की ही तो देन है।
पता नहीं लोग क्यों यह भूल जाते हैं,
शैशवावस्था से किशोरावस्था तक की
गलतियों को मातृ बन छिपाना, नारी ही की तो देन है।
पता नहीं लोग क्यों यह भूल जाते हैं,
हर पीड़ा को सहना, नारी की ही तो देन है ।
पता नहीं लोग क्यों यह भूल जाते हैं,
तुम्हारे हर पल का ख्याल रखने वाली,
नारी की ही तो देन है।
पता नहीं लोग क्यों यह भूल जाते हैं,
तुम्हारी जीवनसंगिनी का रूप निभाना ,
नारी की ही तो देन है।
पता नहीं लोग यह क्यों भूल जाते हैं,
तुम्हारे सुख- दुख का साथ देने वाली,
नारी की ही तो देन है ।
पता नहीं लोग क्यों यह भूल जाते हैं,
तुम्हारे घर को बसाना, एक नारी की ही तो देन है।
पता नहीं लोग क्यों यह भूल जाते हैं,
तुम्हारे लिए करवा- चौथ का व्रत रखना,
नारी की ही तो देन है ।
पता नहीं लोग क्यों यह भूल जाते हैं,
तुम्हारी सूनी कलाई पर राखी बांधना,
नारी की ही तो देन है।
पता नहीं लोग क्यों यह भूल जाते हैं,
सारे देवताओं की शक्ति भी, नारी की ही तो देन है।
पता नहीं लोग यह क्यों यह भूल जाते हैं,
खुद गीले में सोना और तुम्हें सूखे में सुलाना,
नारी की ही तो देन है।
पता नहीं लोग क्यों यह भूल जाते हैं,
तुमको पूर्ण पुरुष बनाना, नारी की ही तो देन है ।
पता नहीं लोग क्यों यह भूल जाते हैं,
घर पर लक्ष्मी का आना भी, नारी की ही तो देन है।
पता नहीं लोग क्यों यह भूल जाते हैं,
तुम्हारा सम्मान रखना, नारी की ही तो देन है ।
"अब अपने आप ही यह निर्णय ले लो,
यदि आज नारी है तभी हमारे जीवन का अस्तित्व है।"
