यह कविता एक कटाक्ष है उस समाज पर यहाँ नारी के साथ ऐसा सुलूक़ किया जाता है ............ यह कविता एक कटाक्ष है उस समाज पर यहाँ नारी के साथ ऐसा सुलूक़ किया जाता है ..........
पता नहीं लोग क्यों यह भूल जाते हैं, यह शरीर भी, नारी की ही तो देन है । पता नहीं लोग क्यों यह भूल जाते हैं, यह शरीर भी, नारी की ही तो देन है ।
मेरे मन के शांत सरोवर में लहरों का सैलाब सा आता है। मेरे मन के शांत सरोवर में लहरों का सैलाब सा आता है।
रिहा खुद को किया आज मैंने उन कुरीतिओं से...जो करती थीं घात। रिहा खुद को किया आज मैंने उन कुरीतिओं से...जो करती थीं घात।
वो कहते है, उन्हें मोहब्बत है मुझसे.. पर बर्दाश्त नहीं उन्हें मेरा, किसी औऱ से बात वो कहते है, उन्हें मोहब्बत है मुझसे.. पर बर्दाश्त नहीं उन्हें मेरा, किसी औऱ...