पता नहीं लोग क्यों यह भूल जाते हैं, यह शरीर भी, नारी की ही तो देन है । पता नहीं लोग क्यों यह भूल जाते हैं, यह शरीर भी, नारी की ही तो देन है ।
अपने मर्जी से जीना है मुझे, ऐसे रात के सुनसान से सड़क पर खुल के चिल्लाना है मुझे! अपने मर्जी से जीना है मुझे, ऐसे रात के सुनसान से सड़क पर खुल के चिल्लाना है मु...
किरदार उसे बना हम मुसन्निफ़ बन बैठे उनके ही ख्यालों में खोए थे। किरदार उसे बना हम मुसन्निफ़ बन बैठे उनके ही ख्यालों में खोए थे।
बस जुबान मिली तो कटी हुई और कलम मिला तो बिका हुुआ। बस जुबान मिली तो कटी हुई और कलम मिला तो बिका हुुआ।
घर पे सो रहे थे, समोसा खा रहे थे! घर पे सो रहे थे, समोसा खा रहे थे!