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Palak Inde

Abstract

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Palak Inde

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हिकायत

हिकायत

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किरदार उसे बना

हम मुसन्निफ़ बन बैठे

उनके ही ख्यालों में खोए थे

कि एक हिकायत लिख बैठे

वो लिखावट कुछ यूँ अर्ज़ है

कि उनका प्यार हमारा फ़र्ज़ है

अपनी तस्कीन के खातिर

हम उन्हें लिखते हैं

वो पहली मुलाकात से अब तक का सफर

सब उस हिकायत में दिखते हैं

उनके एहसास वहाँ मौजूद हैं

शायद..इसलिए ही वो इतनी खास है

और कुछ..तो मालूम नहीं

बस यही एक हुनर...मेरे पास है

यूँ घँटों बिता सकते हैं हम

उनके ख्यालों में खोए हुए

उनके ही ख्वाब देखते हैं

गहरी नींद में सोए हुए

उनको लिखते लिखते 

हम शायर बन बैठे

किरदार उसे बना

हम मुसन्निफ़ बन बैठे।



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