कलम
कलम
कई ख्वाब थे मेरे जेहन मे
ना मैं कह सका
ना मैं वो लिख़़ सका।
बस जुबान मिली
तो कटी हुई और
कलम मिला तो
बिका हुुआ।
कई ख्वाब थे मेरे जेहन मे
ना मैं कह सका
ना मैं वो लिख़़ सका।
बस जुबान मिली
तो कटी हुई और
कलम मिला तो
बिका हुुआ।