आजाद मैं...
आजाद मैं...
अपने मर्जी से जीना है मुझे,
ऐसे रात के सुनसान से सड़क पर खुल के चिल्लाना है मुझे,
अपने मुताबिक कोई भी काम करना है मुझे,
मैं न किसी लिंग के भेद का संदेश हूं न ही किसी पुरुष के खिलाफ हूँ,
हाँ मगर उनसे जी भर के लड़ना है मुझे,
जो कहते हैं औरत है तू अपनी हद में रह,
अपने पसंदीदा कपड़े पहनकर अल्हड़ से घूमना है मुझे,
आज़ादी के छोटे से छोटे निवालों के साथ ढेर सारे व्यंजन है जो कभी मीठे,
तीखे तो कभी कड़वे हो जाएं मगर उन सभी को चखना है मुझे,
अकेले कहीं आ और जा सकती हूँ मैं अपने किसी अंगरक्षक की जरूरत नहीं है मुझे,
आज़ाद हूँ आज़ाद रहना है मुझे.....