नारी मूर्ति नहीं है
नारी मूर्ति नहीं है
नारी मूर्ति नहीं है ,
उसमे भी जान है
जमाने को जान देनेवाली नारी ही है ....।
नारी के बिना समाज अधूरा है ,
सृष्टि नामुमकिन है .....।
फिर भी कुछ लोग
बोलते है नारी एक मूर्ति है ,
उसे तकलीफ़ नहीं होती है ...।
पर कौन समझेगा नारी के दर्द ..?
कौन बताएगा
नारी में भी जीवन है ,
जीने की चाहत है ,
सपने बुनने के हिम्मत है ...।
कौन बोलेगा की
नारी एक मूर्ति नहीं है ....।
