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KíNju_ DéSai

Tragedy

4.5  

KíNju_ DéSai

Tragedy

“नारी की बाधा"

“नारी की बाधा"

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पिंजरे में रखी हुई चिड़िया सी बाधा है,

वर्तमान नारी की कुछ ऐसी ही गाथा है।


पर है आजाद उसके, 

मगर पाँव जंजीरो मे बंधे हैं, 

वो चाहे फिर भी उड़ नहीं सकती, 

यही उनकी बाधा है। 

वर्तमान नारी की कुछ ऐसी गाथा है।


कहेने को तो बेटियां आज़ाद है, 

मगर आज भी वो समाज के बंधनों में बंधी है, 

वो चाहे फिर भी अपनी बात 

खुलके बोल नही सकती, 

यही उनकी बाधा है। 

वर्तमान नारी की कुछ ऐसी गाथा है।


बहू पढ़ी लिखी है, मगर 

घुंघटे मे बंध है उसके अरमान, 

वो चाहे फिर भी आत्मनिर्भर हो नही सकती। 

यही उनकी बाधा है। 

वर्तमान नारी की कुछ ऐसी गा

था है।


अगर वो अपने पाँव पर खड़ी हो जाए तो, 

तो उसके साथ बलात्कार और 

एसिड अटैक करते हैं, 

वो चाहे फिर भी अकेले चल नहीं सकती, 

यही उनकी बाधा है। 

वर्तमान नारी की कुछ ऐसी गाथा है।


नारी की इज्जत को निलाम करते हैं, 

आज के कुछ आज़ाद मर्द, 

उनकी आज़ादी ऐसे बयाँ करते है। 

वो चाहे फिर भी कुछ कर नही सकती, 

यही उनकी बाधा है। 

वर्तमान नारी की कुछ ऐसी गाथा है।


सिर्फ कहेने को आज़ाद है वो, 

आज भी आज़ादी के दलदल मे है वो, 

वर्तमान नारी की कुछ ऐसी गाथा है।

पिंजरे में रखी हुई चिड़िया सी बाधा है।        

वर्तमान नारी की कुछ ऐसी ही गाथा है।



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