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Uma Vaishnav

Tragedy

4  

Uma Vaishnav

Tragedy

नारी का इतवार नहीं आता

नारी का इतवार नहीं आता

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एक नारी के जीवन में,

कभी इतवार नहीं आता

हर दिन की तरह,

यह दिन भी यूं ही जाता

एक नारी के जीवन में

कभी इतवार नहीं आता

सुबह से लेकर शाम तक,

और फिर आधी रात तक,

उसके किये सभी कामों का 

कोई भी हिसाब नहीं आता

एक नारी के जीवन में....

कभी इतवार ..

आते - जाते हैं कई मौसम,

पतझड़ बहार नहीं लाता,

एक नारी के जीवन में,

कभी इतवार नहीं आता,

बिन पगार के काम करें ,

घर में सब का ध्यान रखें,

उसके बनाए खाने का ,

कहीं भी स्वाद नहीं आता,

एक नारी के जीवन में....

कभी इतवार ..

कभी माँ, कभी बीवी बनी,

सदा प्रेम के पथ चली ,

एक नारी के जीवन में,

कभी इतवार नहीं आता,

बिन कहे ही सुन लेती,

सारी इच्छा पूरी करती ,

इसकी मन की इच्छा को ,

कोई नही समझ पाता ,

एक नारी के जीवन में.....

कभी इतवार..


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