नारी जगत का आधार है
नारी जगत का आधार है
नारी के बारे में क्या कहूँ, नारी शक्ति का अवतार है l
बेटी, बहु, माँ, पत्नी सब रूपों में नारी, नारी बिन सुना ये संसार है l
नारी से ही है, जीवन में नौ रसों की अनुभूति l
नारी है तो जीवन की बगिया में हर तरफ बहार ही बहार है l
त्याग की साक्षात् मूर्ति है नारी, समर्पण इसका विश्वविख्यात है l
सबने है माना, नारी से ही संसार में सुर, लय और ताल है l
सुमती और लक्ष्मी का वास वहाँ, जहाँ नारी का होता सम्मान है l
नारी के हर रूप में माँ अन्नपूर्णा, जगत जननी स्वयं विद्यमान है l
नारी का कोई विकल्प नहीं, नारी बिन सब बेकार है l
जाने इस समाज में फिर क्यों, नारी इतनी बेबस और लाचार है l
क्यों उसे जीवन में मिलता नहीं, कही किसी से कोई अधिकार है l
ब्रह्माण्ड में नारी के त्याग, समर्पण, प्रेम, वातसल्य बिना, चहूँ
ओर अंधकार है l
वंश पुष्प को जो फल बनाती, नारी ही वो बेल है l
उसे भी उन्मुक्त आसमान दो, जिंदगी क्यों उसकी अब भी जेल है l
नारी के कर्ज से दबी ये दुनिया, उसका नहीं किसी से मेल है l
यह दुर्गा, काली, सबला है, तुम्हारे अत्याचार सहना मात्र उसका खेल है l
नारी का नहीं कोई सानी, नारी महानतम से भी महान है l
नारी की भक्ति शक्ति मुक्ति युक्ति से भरे पड़े सारे आख्यान है l
नारी चाहे तो क्या कर नहीं सकती, जानता यह हर विद्वान है l
नारी के प्रेम, समर्पण, त्याग से कभी उऋण हो नहीं सकता यह जहान है l
