नादानी या गुनाह?
नादानी या गुनाह?
खुद से नफरत करने लगा हूँ,
अपनी नादानियों से अब मैं डरने लगा हूँ,
किसी अपने को तड़पता छोड़ मुस्कुराया हूँ मैं,
कभी उन्हें तन्हा छोड़ सुकून के पल बिताया हूँ मैं,
कभी अपने को छोड़ गैरों के लिए कतारों में खड़ा रहा,
कभी अपनी कमियों की वजह से हालात के आगे बस सहमा पड़ा रहा,
हालात को झुठलाता, भगवान को मनाता, कभी अपनी खामियों से लड़ा हूँ मैं,
पर सच कहूँ तो नादानी हो या गुनाह पर खुद के लिए नफरत से भरा हूँ मैं.......