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AVINASH KUMAR

Romance Tragedy

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AVINASH KUMAR

Romance Tragedy

मुझसे रिश्ते तुमने

मुझसे रिश्ते तुमने

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मुझसे रिश्ते तुमने इतने बिगाड़े तो नहीं होंगे

मेरे बाद मेरे ख़त तुमने फाड़े तो नहीं होंगे

खैर अब इश्क़ की उन लज़्ज़तों में क्या है

मगर लोग पूछेंगे जब इन ख़तों में क्या है 

उनको तब खोलोगी मेरे बिना तो

जवाब देती रहना


मेरी तरफ़ अपनी आँखें सिकोड़ रखीं थीं

तुमने अपनी मजबूरियाँ ओढ़ रखीं थीं

क्या होगा कभी जो मेरा हाल पूछेगी 

तुम्हारी रूह जब तुमसे सवाल पूछेगी

जब इतना सोचोगी मेरे बिना तो

जवाब देती रहना


तुम्हारी हर एक ज़िद मैंने स्वीकार की है

मगर एक ज़िन्दगी इस ज़िन्दगी से पार भी है

उस विधाता के लिखे को मिटाकर के

मैं पहुँचूँगा उस तरफ़ गर्व से सर उठाकर के

तुम जब अकेली पहुँचोगी मेरे बिना तो

जवाब देती रहना


मुझसे रिश्ते तुमने इतने बिगाड़े तो नहीं होंगे

मेरे बाद मेरे ख़त तुमने फाड़े तो नहीं होंगे

खैर अब इश्क़ की उन लज़्ज़तों में क्या है

मगर लोग पूछेंगे जब इन ख़तों में क्या है 

उनको तब खोलोगी मेरे बिना तो

जवाब देती रहना


मेरी तरफ़ अपनी आँखें सिकोड़ रखीं थीं

तुमने अपनी मजबूरियाँ ओढ़ रखीं थीं

क्या होगा कभी जो मेरा हाल पूछेगी 

तुम्हारी रूह जब तुमसे सवाल पूछेगी

जब इतना सोचोगी मेरे बिना तो

जवाब देती रहना


तुम्हारी हर एक ज़िद मैंने स्वीकार की है

मगर एक ज़िन्दगी इस ज़िन्दगी से पार भी है

उस विधाता के लिखे को मिटाकर के

मैं पहुँचूँगा उस तरफ़ गर्व से सर उठाकर के

तुम जब अकेली पहुँचोगी मेरे बिना तो

जवाब देती रहना


मंजिलें बेमतलब खामखां इतराती है

सफ़र का असली मजा तो रास्ते लूटते हैं

अकेले होकर मैं चल रहा हूं साथ लेकर तुझे

तुम साथ अगर चलती तो बात कुछ और होती



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