मुझसे प्यार करती हो फिर क्यूँ न
मुझसे प्यार करती हो फिर क्यूँ न
मुझसे प्यार करती हो फिर क्यूँ नजर अंदाज करती हो।
अपनी तीखी नजरो से यह जुल्म क्यू हर बार करती हो
मैं तुमसे मिलना इस जन्म में तो क्या सातों जन्म में पाना चाहता हूं।
मैं तुम्हे अपने रोम रोम में तो क्या दिल की हर धड़कन में बसाना चाहता हूं
तुम मेरे ख्यालों में हो तुम मेरे तसव्वुर में हो
तुम मेरे सांसों में हो तुम मेरे दिल की हर धड़कन में हो
तुम हर जर्रे जर्रे में हो तुम हर लम्हों में हो
बाते तुम किसी और से करती लेकिन नजरे मेरी तरफ हुआ करती है
यह बेताबी जाने क्यू मुझे डसती है
सवाल फिर वही है जान
तुम मुझे प्यार करती हो फिर क्यूँ अपना नहीं मानती हो
अपने जुल्फो के साए में मुझे क्यू नही थामती हो
मेरे प्यार के एहसास को क्यूँ नहीं मानती हो
तुम्हारी आंखे बहुत कुछ कहती है
चुप रहकर भी ये दिल का हर राज खोलती है।
तुम मुझे प्यार करती हो ये मैं जानता हूं
तुम मेरी जान हो हा सच में मैं मानता हूं
तुम्हारी खूबसूरती को देखने सूरज भी आया है।
तुम्हारे भोलपन को देख कर आज चांद भी शरमाया है।
ये बिंदिया और काजल ने ना जाने कैसा मुझ पर जुल्म बरपाया है
तुम्हारे प्यार में खो जाने को जी चाहता है।
तुमसे ना मिलना लगता सजनी जैसे वर्षो हो जाता है
एक सवाल फिर भी ना जाने क्यू तड़पाता है।
सवाल फिर वही है......
मुझे प्यार करती हो फिर क्यूँ नजर अंदाज करती हो
तुम्हारा पास होना मेरे दिल को सुकून दे जाता है
तुम्हे कोई और देखे मेरा दिल जल जाता है
तुम्हारी होठ को मुस्कुराहट दिल में एक अलग ही अगम जगाए है।
तुम्हारी खूबसूरती को देखने देखो तारे भी जमीन पे उतर आए है।
बहुत प्यार करता हूं जान
अपना दिल सरेआम निसार करता हूं जान
कितना तड़पाओगी जान
मेरी अखियां कितना भोगाओगी जान
अब तुम बिन हम रह नहीं पाएंगे
ये दूरी अब हम सह नही पाएंगे
फिर वही मेरे उलझे सवाल
मुझे प्यार करती हो फिर क्यूं इनकार करती हो
मेरी जान एक बार तो कह दो सच में मुझसे तुम प्यार करती हो।

