मुझको..
मुझको..
सुनो
तेरी याद से अब तकलीफ नहीं
होती मुझको..
जख्म खुलते है तो दहशत नहीं
होती मुझको..
जिसे जाना है वो छोड़ कर चला
जाए मुझको ..
अब किसी शख्स की आदत नहीं
होती मुझको..
ऐसा बदला हूं तेरे साथ रह कर मैं
मुकर जाऊँ वादे से तो निदामत
नहीं होती मुझको..
तेरी अंजुमन मैं है हम जिंदा लाश
की तरह..
कोई मरता है तो हैरत नहीं होती
मुझको..
तू बदलता है तो सारे रंग बदल
जाते हैं ..
तेरे किरदार से अब शिकायत नहीं
होती मुझको..

