मुझको मिली है जिंदगी
मुझको मिली है जिंदगी
यूँ तो सब कुछ था मगर महसूस होती थी कमी
तुम मिले तब ये लगा मुझको मिली है जिंदगी
सुब्ह, शब, रातें सुहानी ख़्वाब सब सच्चे लगे
कह चुका कई बार फिर कहता हूँ तुम अच्छे लगे।
चांद तारे गालों पर क्या खूब मंजर आ गए
आंखों की गहराई में सातों समंदर आ गए
रंग, खुशबू, ताजगी फूलों के जैसी सादगी
तुम मिले तब ये लगा मुझको मिली है जिंदगी।
घर तुम्हारे आने से सुब्ह हुई है मखमली
धूप का महके धुआं कानों में गूंजे आरती
पायलों के गीत चूड़ी के इशारे क्या कहें
मांग का सिंदूर, बिंदिया भी पुकारे क्या कहें।
घर में हम रहने लगे अब बन्द है आवारगी
तुम मिले तब ये लगा मुझको मिली है जिंदगी
कुछ नहीं बदला वही चाहत वही जज्बात है
साल एक बीता मगर लगता है कल की बात है
सात फेरे, मन्त्रों के स्वर, फूलों की बरसात थी
लाल जोड़े में थे तुम या रब की कोई सौगात थी
हो गई घर में मेरे दीपावली सी रौशनी
तुम मिले तब ये लगा मुझको मिली है जिंदगी
जिंदगी के हर सफर में साथ मेरे तुम चलो
इस जन्म क्या हर जनम में मैं ये चाहूँ तुम मिलो
हर कोई महसूस करता है मेरी तुमसे लगन
ये हमारा साथ है दो आत्माओं का मिलन
तुमको रब माना करेंगे हम तुम्हारी बंदगी
तुम मिले तब ये लगा मुझको मिली है जिंदगी।

