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Husan Ara

Tragedy

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Husan Ara

Tragedy

मस्ती या सज़ा

मस्ती या सज़ा

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ज़िन्दगी एक फूल मानो

ये दोबारा खिलती नहीं

ज़िन्दगी का मोल समझो

ये दोबारा मिलती नहीं

कितने ही मिट चले

जिन्होंने इसे खेल समझा

अपने आगे हर एक शह को

जिन्होंने फेल समझा

खाकर तंबाकू पीकर सिगरेट

सेहत से खिलवाड़ किया

मौज मस्ती लेने के लिए

खुद पर ही वार किया

कुछ अलग सी सेल्फी के

चक्कर में

कितनों ने जान गँवाई

स्टंट करने से टक्कर में

कैसी कैसी चोटें खाई

ऑनलाइन गेम ब्लू व्हेल

उसने कितनों को मारा

तैरने जाना नहरों में

कइयों को नसीब ना

होगा दोबारा

ये कैसा युग जहाँ नियमों में चलना

हम जेल समझ लेते हैं

कुछ मस्ती मज़े के लिए

ज़िन्दगी खेल समझ लेते हैं


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