मसान ( ग़ज़ल)
मसान ( ग़ज़ल)
दुनिया में जब सबकी अंतिम जगह मसान।
क्यों कर रहा ए बंदे फिर तू अभिमान।।
अपनी बात कहने से मिलेगा दण्ड सदा।
गूंगे-बहरों के संग तू बन जा बेजुबान।।
तपती राख का धुआं भी देता है दुआ।
नेकी-भलाई का जिसने किया हो सम्मान।।
खुद के लिए जीओ या जीओ औरों के लिए।
दिल दुखा कर किसी का न करना पूरा अरमान।।
छल-कपट से मिले मंजिल न सोचना कभी।
सुहृदय भाव से ही बने दुनिया में पहचान।।
प्यार की चाहत में सब न लुटाना 'पूर्णिमा"।
जो नहीं चाहें तुम्हें उन पे भी कर जाना एहसान।।