मर्यादा ओढ़ती हैं बेटियां
मर्यादा ओढ़ती हैं बेटियां
घर में बेटी न हो तो
चिंतित रहते हैं कुछ लोग
घर में हो बेटी तो
चिंतित रहते हैं कुछ लोग
बेटी को लक्ष्मी मान
खुश होते हैं कुछ लोग
बेटी को पराई मान
नाखुश होते हैं कुछ लोग
बढ़ती जाती हैं बेटियाँ ,
मर्यादा ओढ़ती हैं बेटियां
स्कूल कालेज से घर पहुँचने में,
तनिक सा अंतराल
चिंता का कारण बनता है।
बेटी की सुरक्षा में आजकल
मन आशंकित रहता है।
कद काठी बढ़ती है,
वर की तलाश शुरू हो जाती है
शादी की धूमधाम ,
घर आंगन को महका देती है।
भेज कर ससुराल दिल के टुकड़े को
महीनों सिसकते हैं
देखकर उसके खिलौनों को
क्यों हो गई इतनी जल्दी बड़ी
समय को कोसते हैं
ससुराल में सबसे
घुल-मिल जाने की कामना करते हैं
पति से प्यार
सास से दुलार पाने की कामना करते हैं
फले फूले बेटी का घरबार
आशीर्वाद देते हैं,
आती रहे वार त्योहार
आशा करते हैं
आंखों से हो जाती ओझल
पर दिल के करीब रहती है बेटी
ससुराल में पत्नी, बहू ,मां
का दर्जा पाने वाली
पीहर में सदा रहती है बेटी।।
