मन के कैनवास पर हज़ारों रंग आवाजाही करते है कौन से रंग में ढालूँ खुद को...! बचपन छूटता जा रहा है,... मन के कैनवास पर हज़ारों रंग आवाजाही करते है कौन से रंग में ढालूँ खुद को...! ब...
ना जाने कब बड़ी हो गई ना जाने कब बड़ी हो गई
तेरे आंचल की छांव में तेरे आंचल की छांव में
उसकी सहमति ने याचिका के लिए एक नीलामी पैकेट भेजा। इसे देखकर आदमी गुस्से में है। तुरंत उसकी सहमति ने याचिका के लिए एक नीलामी पैकेट भेजा। इसे देखकर आदमी गुस्से में है। ...
जानता हूं सामने मौत खड़ी है पर रोटी तू सबसे बड़ी है। अपने अंत को भी अनदेखा किया है मै जानता हूं सामने मौत खड़ी है पर रोटी तू सबसे बड़ी है। अपने अंत को भी अनदेखा ...
हौसले बुलंद हो तो नामुमकिन कोई मंजिल नहीं, आग लगाना पानी में भी मुश्किल नहीं, आज चाँ हौसले बुलंद हो तो नामुमकिन कोई मंजिल नहीं, आग लगाना पानी में भी मुश्किल नहीं...