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काव्य चकोर

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काव्य चकोर

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चाय मतवाली

चाय मतवाली

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कड़क चाय की प्याली

चाहे गोरी हो या काली।

सुस्ती भगाए चुस्ती लाए

ये चाय बड़ी मतवाली।


किसी को मीठी भायी

तो किसी को फीकी वाली।

हर एक के दिल में समायी

इसकी अदा है निराली।


कहीं लज्जत मसालेदार

तो कहीं कड़क अदरक वाली।

पिओगे तो ही जानोंगे स्वाद

चाय,

चाहे घरवाली हो, या हो नुक्कड़ वाली।




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