सवाल ये है की
सवाल ये है की

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सवाल ये नहीं की
पानी कितना बहा है।
पर सवाल ये है की
बाकी कितना बचा है।
सवाल ये नहीं की
जीवन क्यों ठहरा है।
पर सवाल ये है की
अंदर कितना गहरा है।
सवाल ये नहीं की
फूल कितना खिला है।
पर सवाल ये है की
क्या गंध उसे मिला है।
सवाल ये नहीं की
भावनाएं कितनी सुप्त है।
पर सवाल ये है की
समाज कितना मुक्त है।
सवाल ये नहीं की
मुझे कितना छलता है।
पर सवाल ये है की
तुम्हें कितना समझता है।