ना जाने कब बड़ी हो गई ना जाने कब बड़ी हो गई
बंट गई है यह धरा आज तीन रंगों में है बचा जीवन सुरक्षित एक ही रंग में, बंट गई है यह धरा आज तीन रंगों में है बचा जीवन सुरक्षित एक ही रंग में,
आँचल की ताकत यहांँ,जाने सकल जहान। आंँचल की छाया तले पला,बढ़ा इंसान।।१।। आँचल की ताकत यहांँ,जाने सकल जहान। आंँचल की छाया तले पला,बढ़ा इंसान।।१।।
जो भी आये मुश्किलें सामने उस माँ को कभी ना दुःख देना। जो भी आये मुश्किलें सामने उस माँ को कभी ना दुःख देना।