तीन अंचल
तीन अंचल
शायद शताब्दियों बाद ही ऐसा हुआ होगा
कि एक विषाणु ने धरा को झकझोर दिया होगा,
संपूर्ण मानव जाति को हिला दिया जिसने
त्राहिमाम के स्वर से संपूर्ण विश्व गुंजा ना कभी होगा।
बंट गई है यह धरा आज तीन रंगों में
है बचा जीवन सुरक्षित एक ही रंग में,
रह रहे हो तुम कहां जरा देख लो किसके संग में
क्षेत्र तुम्हारा आ रहा है आज किस रंग में।
लाल अंचल में हो शामिल तो सतर्क रहना होगा
मौत पसरी है वहां हर वस्तु को संभलकर छूना होगा,
लापरवाही एक भी पड़ेगी जान को भारी
जीवन हो प्यारा तो कैद खुद को तुम्हें रखना होगा।
संतरी अंचल में रहने वाले कुछ स्वतंत्र हैं
पर है खतरा तो यहां भी पाबंदियां जरा ही कम है,
यह भूल ना करना कि कुछ ना बिगड़ेगा हमारा
एक भूल भी रखे है तुम्हारे क्षेत्र को बदलने का दम है।
हरे क्षेत्र की हरियाली में रहने वालों की चिंता कम है
खुले हैं साधन आने-जाने के क्योंकि खतरा यहां कम है,
पर इस आजादी को बनाए रखना सबका धर्म है
मास्क लगाना, हाथों को धोना भूलना नहीं यह सब का करम है।
