मृत्यु और भूमि
मृत्यु और भूमि
हम कौन हैं
कहाँ से आये हैं
और कहाँ हमको जाना है
हम क्या हैं
कैसे हैं हम बने
और क्या हमको कर दिखाना है
नहीं हैं इन सवालों के जवाब
बस इतना है पता
इस भूमि पर जन्म लेना है
और इसी भूमि पर मर जाना है
सत्य की खोज में सब लगे रहे
कितने ही धर्म बना दिए
और कितने ही ग्रन्थ लिख दिए गए
बस दो बातें जिनको न भूल पाया कोई
बस दो बातें जिनसे न पीछा छुड़ा पाया कोई
एक मृत्यु और एक ये भूमि
इनको ही जीतने में लगा रहा हर कोई
मृत्यु से डरना धर्म हो गया
और भूमि को जीतना कर्म हो गया
महाभारत में क्या यही नहीं बताया कृष्ण ने
स्वजनों को मार कर
क्या भूमि को ही नहीं जीता अर्जुन ने
इसा मृत्यु से वापस लौट आये
तो भगवान् हो गए
राम ने लंका तक की भूमि जीत ली
तो वो मर्यादा पुरुषोत्तम हो गए
राम को पूजते हैं
तो हिटलर को क्यों कोसते हैं
सिकंदर को महान बतलाते हैं
तो ब्रिटिश राज को क्यों गालियां देते हैं
भूमि का कभी साम्राज्य बनाते थे
तो अब भूमि में निवेश करते हैं
मृत्यु से कभी मोक्ष दिलाते थे धर्म
तो अब धर्म के व्यापार करते हैं
मृत्यु से भय
और भूमि से मोह
यही लिखा है ग्रंथों में
यही सिखलाते हैं वो
मृत्यु अटल है
और भूमि सकल है
इनको जीतने का प्रयास व्यर्थ है
इस सत्य को समझना है
और इसी को धर्म बनाना है
इस भूमि पर जन्म लेना है
और इसी भूमि पर मर जाना है
