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Saurabh Chauhan

Tragedy

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Saurabh Chauhan

Tragedy

ये दुनिया

ये दुनिया

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स्वार्थ से घिरी हुई 

मोह से लिपटी हुई 

यहाँ पूजा में भी है 

लालसा भरी हुई 


दूसरों को कुचलना 

समय को पकड़ना 

इस अंधी दौड़ में 

भाग रहा हर कोई 


माँ को रुला दिया 

पिता को भुला दिया 

इस पैसे भी भूख में 

धर्म है बिक रहा हर गली 


इज़्ज़त तो लूट ली 

हिम्मत भी तोड़ दी 

हर नारी के मन में 

एक आग है दहक रही 


बचपन है खो गया 

जवानी से डर गया 

बुढ़ापे की गलियों में 

मौत मिल जाएगी कहीं! 


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